ज़िन्दगी चलती रहेगी

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप 

हम रुकें चाहे ठिठक कर,

बैठ जाएँ, या, बहक कर

ज़िन्दगी चलती रही है,

ज़िन्दगी चलती रहेगी ।

 

 (1)

रात आने से कभी क्या. दिन निकलना भूलता है। वर्ष के वट पर नया इक, नित्य मौसम झूलता है।।

शुष्क मौसम खींच कर, लाता हमेशा मुक्त सावन, नित्य मुरझाती हैं कलियाँ, नित्य पल्लव फूलता है।।

कैद हम हो जाएँ घर में, या रुकें थक कर सफ़र में, ज़िन्दगी चलती रही है, ज़िन्दगी चलती रहेगी ।  

 (2)

आँख खुलना, बंद होना, मात्र जीना और मरना। रोज़ दर्पण में संवरना, रोज़ दर्पण सा बिखरना ।।

सांस आना और जाना, देह का खुलना सिकुड़ना, रोज़ पर्वत सा अकड़ना, रोज़ निर्झर सा उतरना ।।

मन भले महका हुआ हो, तन भले दहका हुआ हो, ज़िन्दगी चलती रही है, ज़िन्दगी चलती रहेगी ।  

(3)

साथ में चलते रहेंगे, नित्य अर्थी और डोली। चुप कहीं सिन्दूर होगा, बोलती होगी रंगोली ।।

मुट्ठियों में कब समय को, बाँध पाया है ज़माना । हो भले मज़बूत कितनी, है फटी हर एक झोली ।।  

पुल भले ही टूट जाये, साथ पथ से छूट जाये,ज़िन्दगी चलती रही है, ज़िन्दगी चलती रहेगी ।

Share and Enjoy !

Shares

Related posts